भारतीय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वज़ीरएक्स से 2000 करोड़ रुपये की चोरी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने एक संयुक्त बयान में चोरों की पहचान की है। इस बयान के अनुसार, चोरी के पीछे उत्तर कोरिया के हैकर्स का हाथ है।
कौन है जिम्मेदार?
वज़ीरएक्स में हुए साइबर हमले के लिए उत्तर कोरियाई हैकर्स को जिम्मेदार ठहराया गया है। यह हमला 2024 में हुआ था, जिसमें वज़ीरएक्स के करीब 235 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2000 करोड़ रुपये चोरी हुए। उत्तर कोरिया को आमतौर पर “तानाशाही का देश” कहा जाता है, क्योंकि वहां की सत्ता किम जोंग उन के हाथों में है। किम जोंग उन को अक्सर एक तानाशाह के रूप में देखा जाता है।
संयुक्त बयान में क्या कहा गया?
अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने अपने बयान में बताया कि उत्तर कोरिया के कई हैकिंग ग्रुप वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, डिजिटल एसेट कस्टोडियन और निवेशकों को निशाना बनाते हैं। इनमें सबसे कुख्यात “लाजरस ग्रुप” शामिल है। यह पहला मौका है जब इन देशों ने आधिकारिक तौर पर उत्तर कोरिया के हैकर्स पर साइबर हमले का आरोप लगाया है।
चेतावनी और असर
संयुक्त बयान में चेतावनी दी गई है कि ये हैकर्स अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा हैं। वज़ीरएक्स से चुराई गई रकम का इस्तेमाल उत्तर कोरिया अपने अवैध हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को फंड करने में कर रहा है। इसके अलावा, रेडिएंट कैपिटल से 50 मिलियन डॉलर की चोरी के लिए भी उत्तर कोरिया को जिम्मेदार माना गया है।
अन्य प्रभावित प्लेटफॉर्म:
- DMM Bitcoin: $308 मिलियन
- Upbit: $50 मिलियन
- Rain Management: $16.13 मिलियन
वज़ीरएक्स पर हमला कैसे हुआ?
जुलाई 2024 में वज़ीरएक्स पर अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला हुआ। इस हमले में मल्टी-सिग्नेचर वॉलेट को निशाना बनाया गया। हैकर्स ने प्लेटफॉर्म के कुल भंडार का लगभग आधा हिस्सा चुरा लिया, जिससे एक्सचेंज पर जमा और निकासी रोकनी पड़ी।
FBI और वज़ीरएक्स की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने वज़ीरएक्स से संपर्क कर जांच में सहयोग किया। वज़ीरएक्स के को-फाउंडर निश्चल शेट्टी ने भी इस बात की पुष्टि की कि यह हमला उत्तर कोरिया के लाजरस ग्रुप की करतूत हो सकता है।